21 मई 2018 का आलेख
#कलियुग का प्रलयकाल आने के पूर्व ही इंसानों ने धरती के विनाश को अपने #कुकर्मों द्वारा सुनिश्चित कर लिया है.
भगवान #कुपित हो चुके हैं और वह #भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, #महामारी तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं द्वारा इंसानों को दंडित करने का निर्णय ले चुके हैं. यदि ईश्वर ने हम पर थोड़ी बहुत दया और #करुणा दिखा भी दिया तो इंसान रूपी जानवर अपने द्वारा बनाए गए अस्त्र-शस्त्रों जैसे मिसाइल और परमाणु बम या जैविक #बिमारियों द्वारा अपनी सभ्यता को नष्ट कर लेगा.
इस खतरनाक यात्रा के पीछे इंसान का निजी स्वार्थ सबसे प्रमुख कारण बना. तुरत लाभ पाने की प्रवृत्ति ने उसके सोचने और समझने की क्षमता ही क्षीण कर दी. #धनबल और क्षणिक #लोकप्रियता के लोभ में वे #स्वार्थी तत्व के संपर्क में आकर स्वयं सहित राष्ट्र को भी हानि पहुंचाते हैं और योग्य तथा #निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे लोगों का #सानिध्य नहीं पा पाते. इस प्रकार मानवता की रक्षा करने वालों का चिंतन #जनबल के अभाव में दम तोड़ देता है. ऐसे में मानवीय मूल्यों की रक्षा कौन करेगा?
पिछले 200 वर्षों में जिस प्रकार धरती के संसाधनों को नोच -खसोट कर लूटा गया है उसकी भरपाई कौन करेगा? कौन आम जनता का #तारणहार बनकर सामने आने का साहस करेगा ..? यदि आना भी चाहे तो #भीड़ ऐसे लोगों को मान्यता नहीं देगी.
स्वयं के लिए जीने वाला स्वार्थी समाज स्वार्थी लोगों को ही अपना #नायक मानता है फिर यही स्वार्थी नायक अपने स्वार्थी अनुयायियों के #पतन का कारण बनते हैं. सीरिया युद्ध के बाद धरती पर तृतीय विश्व युद्ध के संकेत मिल चुके हैं
यदि हम नहीं संभले तो #नारायण अपनी शक्तियों के द्वारा हमारा #संहार कर देंगे.
कई इंसानी #सभ्यताओं की समाप्ति के बाद वेदों का वही प्रसिद्ध मंत्र #मनुर्भव:" अर्थात मनुष्य बनो के साथ पृथ्वी पर एक #मानवीय सृष्टि का सूत्रपात होगा.
तब तक #प्रलय का बैठकर प्रतीक्षा कीजिए
#नया_भारत_गढ़ो
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